हाँ, याद है मुझे, तुमने चॉकलेट दी थी, मैंने खाई थी, खाता नहीं तो क्या उसकी बत्ती बनाता?
उसकी चमकीली पन्नी बचा के रख ली थी मैंने, तुमने सोचा निशानी के तौर पर रख रहा हूँ, नहीं.. उसमे चॉकलेट लगी हुई थी जो मैंने घर पर चाट के खाई..
चॉकलेट की मिठास में तुम्हारा प्यार याद आया, और गीता का भी, और बबीता का भी, और रेनू का भी, और सुनीता का भी, सबने सेम चॉकलेट दी, मैं क्या करूँ..
और वो जो चॉकलेट मैंने तुम्हे दिया वो खरीदा नहीं था, गिफ्ट शॉप से मार के लाया था, मेरी औकात कहाँ 350 के चॉकलेट की, तुम्हारी औकात भी नहीं खाने की, लेकिन अरमानों का क्या, दूसरों के कंधे पर चढ़ते ही सुसु करते हैं..
तुमने भी मेरी दी चॉकलेट खाई, खाती न तो क्या कब्र में ले के जाती? तुम्हारी ऊँगली पर लगी चॉकलेट मैंने चाटी थी, तुमको इश्क़ फील हुआ, मैंने स्वाद जानने के इरादे से किया था, एक पीस भी दे जो नहीं रही थी तुम..
सोच रहा था कहूँ कि "खा के डब्बा वापिस कर देना", टिन के डब्बे में चीनी रखना इज़ सो आउट ऑफ फैशन ना!
चॉकलेट के थ्रू प्यार कैसे महसूस होता है, ये तुमने सिखाया मुझे, क्योंकि जितनी महंगी चॉकलेट, उत्ती बढ़ियां तरीके से, लपक-के गले लगी थी तुम..
वरना अपन तो "मम्मी के सोते ही फोन करूंगी" से ही फील ले लेते हैं..
माफ़ करना, मैं गंवार चॉकलेट डे टाइप मौकों पर ऐसा ही उबड़-खाबड़ सोचता रहता हूँ..!
Saturday, 9 February 2019
देसी चॉकलेट डे
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
mast ekdam raapchik yahi idea leke jaaunga propose karne
ReplyDelete